हजारों श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नारायणी गंडकी में लगाई आस्था की डुबकी , किया दान -पुण्य ।

हजारों श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नारायणी गंडकी में लगाई आस्था की डुबकी , किया दान -पुण्य ।
हजारों श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नारायणी गंडकी में लगाई आस्था की डुबकी , किया दान -पुण्य ।

अभिमन्यु गुप्ता की रिपोर्ट 

वाल्मीकि नगर न्यूज़ 11टीवी : -

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भारत - नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर के विभिन्न पावन घाटो पर श्रद्धालुओं ने गंडक नदी में लगाई आस्था डुबकी।एवं स्नान दान किया। वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व में स्थित कॉलेश्वर धाम मंदिर,जटाशंकर धाम मंदिर , काली घाट मंदिर, माँ नरदेवी मंदिर समेत सीमा से सटे नेपाल के गजेंद्र मोछ दिव्य धाम , वाल्मीकि आश्रम आदि विभिन्न तीर्थ स्थलों में जा कर देवी- देवताओ के दर्शन किये। एवं पूजा अर्चना की।
शुक्रवार की सुबह से ही लवकुश घाट , सोनभद्र घाट, कॉलेश्वर घाट ,काली घाट, बेलवा घाट,अमृत खोला,सीमावर्ती नेपाल के त्रिवेणी घाट आदि घाटो पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। उत्तर-प्रदेश, बिहार ,नेपाल ,पूर्वी चम्पारण सहित थरुहट के दूर दराज से आये श्रद्धालु भक्तो का रेला उमड़ पडा।क्या महिला , क्या बच्चे, क्या बूढ़े सभी घाटो की ओर बढ़े चले जा रहे थे। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ वाल्मीकिनगर पहुंचे।
दोपहर बाद श्रद्धालु गंतयवय की ओर वापस जाने लगे थे।सभी श्रद्धालु आस्था एवं भक्ति की डुबकी लगा कर तृप्त दिख रहे थे।तथा हजारो श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है।इस दिन भगवान शिव ने राछस त्रिपुरासुर का वध किया था।त्रिपुरासुर के वध होने से खुश हो कर देवताओं ने काशी में दिए जलाये थे । इसलिए इसे देव दीपावली भी कहा जाता है।कार्तिक पूर्णिमा में गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से मोछ की प्राप्ति होती है। जीवन धन्य हो जाता है। शारीरिक रोग विकार दूर होते है।यह जानकारी आचार्य पंडित रामेश्वर मिश्रा ने दी।