आई फ्लू के मरीजों के साथ बढ़ा काले चश्मा का दाम

आई फ्लू के मरीजों के साथ बढ़ा काले चश्मा का दाम
आई फ्लू के मरीजों के साथ बढ़ा काले चश्मा का दाम
बचाव के लिए चश्मा लगाकर घूम रहे लोग
थरूहट क्षेत्र में तेजी से पांव पसार रहा आई फ्लू, 
आंखों पर काला चश्मा और जेब में मिल रही आई ड्रांप
BAGAHA News11tv :-
मानसून का मौसम में बदलाव की स्थितियों के बीच आई फ्लू के मरीजों की संख्या तेजी में संक्रमण रफ्तार से बढ़ रहा है. बगहा पुलिस जिला समेत विभिन्न क्षेत्रों तथा थरूहट क्षेत्र के हरनाटांड़ में बच्चा, बूढ़ा, जवान अधिकतर आंखों पर काला चश्मा तथा जेब में आई ड्रांप लिये नजर आ रहे हैं. आई फ्लू से दुधमुंहे बच्चे तक भी नहीं बच पाए हैं.बचाव के लिए चिकित्सक काला चश्मा लगाने की सलाह दे रहे हैं. इसके साथ ही दुकानदार अब दाम भी बढ़ा रहे हैं. 50 रुपये में मिलने वाला चश्मा इन दिनों दो से ढाई सौ रुपये में बिक रहा है.अबतक फोटोक्रोमिक चश्मा बहुत कम ही लोग लगाते थे. जब से आई फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हुई तब से इसकी मांग भी बढ़ गई है. इस बीमारी की चपेट में आने से बचने के लिए लोग पहले से फोटोक्रोमिक चश्मा खरीदकर लगा रहे हैं. अबतक सामान्य काला चश्मा 50 रुपये तक में मिल जाता था, मगर इन दिनों दो से ढाई सौ रुपये तक में लोग खरीद रहे हैं. आंखों में चुभन शुरू होते ही चश्मा खरीदकर लोग लगा लेते हैं. जबकि धुव नेत्रालय हरनाटांड़ के चिकित्सक डा.चितामणी कांजी ने बताया कि आई फ्लू कोरोना जैसे वायरस है. चश्मा लगाने से आई फ्लू जैसे बीमारी से नहीं बचा जा सकता है. चश्मा लगाने से आंखों में धूल नहीं जाती है. धूल से बचाव के लिए चश्मा लगाने के लिए कहा जाता है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचे रहने के लिए किसी दूसरे की रूमाल को हाथ में न ले. आई फ्लू संक्रमित मरीजों से हाथ मिलाने से बचें. उनके करीब जाने से बचें.लोगों में इस कदर डर है कि एक बार बीमारी में प्रयुक्त होने के बाद लोग उस चश्मे का दोबारा प्रयोग नहीं कर रहे हैं. पीड़ित विष्णु कुमार राय, सुशील मिश्रा,मदनमलवाल,विनोद खतईत ने कहा कि दौ सौ रुपये का चश्मा खरीदना पड़ा है. चश्मा बिक्रेता राहुल कुमार साह का कहना है यकायक चश्मों की मांग बढ़ने से ऊपर चश्मों के भाव बढ़ने से अधिक कीमत में बेचना पड़ रहा है.
हरनाटांड़ पीएचसी प्रभारी डॉ राजेश कुमार सिंह उर्फ निरज ने बताया कि पीएचसी पर आई फ्लू की दवा ड्रांप पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. गांव देहात की डिसपेंसरी वैलनेस सेंटर पर भी दवा मिल रही है. आई फ्लू बीमारी केवल एक सप्ताह तक रहती है, इसके बाद ठीक हो जाती है.आई फ्लू को ही पिंक आई और कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है. आंखों में होने वाला ये संक्रमण बारिश में पैदा होने वाले बैक्टीरिया और वायरल की वजह से हो सकता है. इस मौसम में गंदगी और उमस की वजह बैक्टीरिया आंखों तक पहुंचकर उन्हें प्रभावित करता है. यह संक्रमण तेजी से फैल जाता है. इसमें आंखे लाल होने के साथ ही पानी आने लगता है. दर्द और सूजन की समस्या हो जाती है. यह एक से दूसरे में फैल सकती है. इसके लिए ज्यादातर आई फ्लू से संक्रमित लोग काला चश्मा पहनकर निकलते हैं.