तथाकथित पुलिसकर्मियों को नहीं भा रही टोगस की कार्यशैली।

तथाकथित पुलिसकर्मियों को नहीं भा रही टोगस की कार्यशैली।
:जिला पुलिस अधीक्षक हैं नारायण टोगस,
तथाकथित पुलिसकर्मियों को नहीं भा रही टोगस की कार्यशैली।

◆जिला पुलिस अधीक्षक हैं नारायण टोगस,

धौलपुर/दीपू वर्मा/News11Tv/ जिले को अपराध मुक्त करने और भयमुक्त वातावरण के निर्माण की दिशा में सतत् प्रयत्नशील जिला पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस की कार्य योजना एवं कार्यशैली तथाकथित भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को नहीं भा रही है। टोगस ने प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कई बड़ी कार्रवाई कर संदेश देने का प्रयास किया है कि कमजोर और दलितों को न्याय दिलाने एवं भयमुक्त वातावरण का निर्माण करने की दिशा में पुलिस पूरी तरह मुश्तैद है। बता दें कि जिले में जुए-सS', प्रतिबंधित चंबल रेत, अप्रधान खनिज संपदा के अवैध दोहन, मिलावटी खाद्य पदार्थ व नकली मावा, सेक्स रेकेट व मादक पदार्थों की तस्करी जैसे जघन्य अपराध करने वाले लोग भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए कोरे चेक साबित हो रहे हैं। तीन साल पूर्व प्रतिबंधित चंबल रेत को लेकर धौलपुर के पुलिस उपाधीक्षक दिनेश शर्मा ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए रेत के परिवहन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे लेकर भ्रष्ट पुलिसकर्मी अंदर ही अंदर लामबद्ध हो गए थे और उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर भ्रष्ट राजनेताओं के जरिए पुलिस उपाधीक्षक शर्मा को एपीओ करा दिया था वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी किरकिरी से बचने के लिए पदस्थापित जिला पुलिस अधीक्षक अजयसिंह को भी हटा लिया था। सच क्या था, यह तो आमजन के सामने नहीं आया पर जिसका प्रचार-प्रसार किया गया, वह प्रतिबंधित चंबल रेत था।

टोगस ने जीता है भरोसा प्राय: आमजन पुलिस पर कम ही भरोसा करते हैं। जिले में हालात यह है कि अपराधी बगल में खड़ा हो या फिर आंखों के सामने हत्या, दुष्कर्म जैसा जघन्य अपराध कर रहा हो तो भी दर्शक पुलिस को सूचना नहीं देते हैं, जिससे जिले में न केवल अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है, बल्कि अपराधी भी बेलगाम हो रहे हैं। इसी के दृष्टिगत जिला पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस ने अल्प समय में ही अपराधियों की गर्दन नापने के लिए लोगों का भरोसा जीतने का अनुकरणीय कार्य किया है, अब जिले के लोग निःसंकोच अपराध एवं अपराधियों की सूचना जिला पुलिस अधीक्षक को देने लगे हैं। वहीं उन्होंने भी सूचना के आधार पर मिलावटी खाद्य पदार्थों का निर्माण करने वाले जुआ सट्टा सेक्स रैकेट चलाने वाले प्रतिबंधित चंबल रेत का परिवहन करने वाले लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर विश्वास की कड़ी को और मजबूत किया है आरटीआई से हुआ खुलासा से सूचना का अधिकार-2005 के जरिए पुलिस से प्राप्त सूचना से कई बड़े खुलासे हुए हैं।

पिछले 3 साल में पुलिस ने जुआ और पर्ची सट्टा) का कारोबार करने वाले एक भी कारोबारी के खिलाफ जुआ
अधिनियम की धारा 13 की उप धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज नहीं किया है, जिससे जुए सट्टा का कारोबार करने वाले आरोपी पुलिस थानों से ही कच्ची जमानत पर रिहा होकर फिर से उसी धंधे में लग जाते हैं, जबकि 3/4 के तहत दर्ज मामलों की जमानत न्यायालय से होती है और पहली बार जुर्म साबित होने पर कम से कम सात साल की सजा भुगतने के लिए जेल जाना होता है। जिले में जुए- सट्टा का कारोबार तकरीबन 50 लाख रुपए प्रति दिन का है और इसमें कमजोर, गरीब, दिहाड़ी मजदूर बर्बाद हो रहा है। पर्ची सट्टा का करोबार पूरी तरह बेईमानी का है, जिसके जरिए कारोबारी गरीब बच्चों के निवाले पर खुले आम डाका डाल रहे हैं। कई स्थानों पर पर्ची सट्टा के कारोबार में कारोबारियों को 3/4 की कार्रवाई से बचाने, माबाईल फोन को सर्विलांस पर नहीं रखवाने छापे के लिए सर्च वारंट नहीं जारी नहीं कराने, बार-बार मामला दर्ज नहीं करने आदि की शर्तों पर भ्रष्ट पुलिसकर्मी कारोबार में बराबर के भागीदार बन जाते हैं। वहीं इस कारोबार में एक विशेष जातिवर्ग के ही लोग संलिप्त हैं, जिन्हें एक राजनेता का संरक्षण भी प्राप्त हैं।

सरकार राजनीतिक हस्तक्षेप बंद कर कार्यकाल 3 साल का करे जिले में अपराधियों की गर्दन नापने के लिए अपराध, प्रशासन, कानून व्यवस्था एवं गुप्त सूचनाओं के क्षेत्र में कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। बावजूद इसके पुलिस महानिदेशक की ओर से पुलिस प्रशस्ति डिस्क व प्रशस्ति रोल के आदेश जारी किए गए हैं। जिले में दबंगई और गुंडाराज के चलते कमजोर एवं दलित भय के साए में जी रहे हैं। अनियमित व गैर कानूनी कारोबार चरम है। में जिले में भययुक्त वातावरण पर किए गए सर्वे से सामने आया है कि राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते
दबंगई और गुंडाराज हावी है। इसके चलते कमजोर एवं दलितों की पुलिस थानों में सुनवाई नहीं होती है। अदालत की शरण लेकर 156/3 में मामला दर्ज करा देते हैं तो सुविधा शुल्क या फिर राजनीतिक हस्तक्षेप के आगे तफतीश दम तोड़ देती है।
बीट कांस्टेबल की जवाबदेही अपराध को नियंत्रित करने व अपराधियों की गर्दन नापने के लिए राज्य सरकार ने बीट प्रणाली आरंभ की थी और प्रत्येक बीट में कांस्टेबल तैनात करने के निर्देश दिए थे। बड़ी बात है कि बीट कांस्टेबल को पता ही नहीं रहता है कि उसकी बीट में कितने युवा अनियमित और गैर कानूनी कारोबार में संलिप्त हैं। इसका खुलासा हाल में पकड़े आईपीएल सट्टा के कारोबारियों ने किया है। पूछताछ में आरोपियों ने
बताया कि वे सS` का कारोबार पिछले 10 साल से कर रहे हैं।


हो रहा है उल्टा पुलिस के अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास स्लोगन का उल्टा हो रहा है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि अपराधी भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए कोरे चेक साबित हो रहे हैं। खाकी बर्दी के सामने अच्छे अच्छे तुर्रमखा सच उगलने के लिए विवश हो जाते हैं, फिर पुलिस गरीब बच्चों का निवाला छीन रहे पर्ची सट्टा नाप पा रही है। पर्ची सट्टा के कारोबारियों से सच उगलवाकर अन्य कारोबारियों की गर्दन क्यों नहीं और जुए के कारण चोरियों के साथ-साथ घरेलू हिंसा जैसे अपराध बढ़ रहे
हैं। बावजूद इसके पुलिस 3/4 के तहत मामला दर्ज कर लंबे समय तक जेल की हवा खिलाने में क्यों असमर्थता दिखा रही है निकटवर्तियों ने बताया जिला पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस के निकटवर्तियों की मानें तो जिले में भयमुक्त वातावरण के निर्माण लिए अपराध मुक्त करना होगा। इसके लिए टोगस ने भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की सूची बनानी शुरू कर दी है और जिले के सभी पुलिस थाना व चौकी प्रभारियों को हिदायत भी दे दी है कि पहले क्या हुआ भूल जाएं और कार्यशैली को सुधार लें।