एक रुपए के नब्बे के लालच ने छीना गरीब बच्चों का निवाला और महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार।

एक रुपए के नब्बे के लालच ने छीना गरीब बच्चों का निवाला और महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार।
एक रुपए के नब्बे के लालच ने छीना गरीब बच्चों का निवाला और महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार।

जमीनी हकीकत : पर्ची सट्टा पूरी तरह बेईमानी का

एक रुपए के नब्बे के लालच ने छीना गरीब बच्चों का निवाला और महिलाएं हो रहीं घरेलू हिंसा की शिकार

जिले की पुलिस जानकर भी बन रही अनजान 

धौलपुर/ दीपू वर्मा/ News11Tv/ पर्ची सट्टा पूरी तरह बेईमानी पर आधारित है। प्रभावी कार्रवाई के अभाव में सट्टा ने गांवों में भी पैर फैला लिए हैं। एक रुपए के नब्बे के लालच में गरीब एवं दिहाड़ी मजदूर गाड़े खून-पसीने की कमाई को दाव पर लगा न केवल बच्चों का निवाला छीन रहे हैं, बल्कि उनके भविष्य को भी दाव पर लगा रहे हैं। बड़ी बात है कि बहुत से लोग गई रकम को निकालने के चक्कर में और दूसरे दिन कुछ प्राप्ति की उम्मीद में स्त्रीधन सहित सिर छिपाने की छत को भी गिरवी रख दाव लगाते हैं। 
बता दें कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासी हर रोज तकरीबन 4० लाख रुपए दाव पर लगाते हैं। सट्टा कारोबारी लालची व्यक्तियों को एक रुपए के नब्बे की दर से भुगतान करने का लालच देकर पंजाब, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गली व दिसावर के नाम पर दाव लगाने को मजबूर करते हैं। फरीदाबाद का नंबर शाम सवा 5 बजे, गाजियाबाद का रात 9 बजे, गली का रात 12 बजे और दिसावर का सुबह सवा 5 बजे खुलता है। कमीशन एजेंट फरीदाबाद के नंबर साढ़े 4 बजे तक, गाजियाबाद के 8 बजे तक, गली और दिसावर के 1० से 11 बजे तक लेते हैं, इसके बाद खाईवाल जंत्री बनाते हैं। नंबर आने पर गली और दिसावर का भुगतान सुबह 8 से लेकर 1० बजे तक करते हैं। सट्टा के नंबर कहां-कहां लगते हैं, बीट कांस्टेबलों से छिपे नहीं हैं। महीने के अंत में लक्ष्य पूरा करने के लिए सट्टा लगाने वाले गरीब व दिहाड़ी मजदूरों को पकड़ कर ले जाते हैं और फर्द तैयार कर कच्ची जमानत पर रिहा कर देते हैं। वहीं वे आरोपी को यह भी हिदायत देते हैं कि इसमें जेल की सजा का प्रावधान नहीं है। जज साहब के सामने सट्टा लगाने की बात स्वीकार करने पर वे 1००-5० रुपए का जुर्माना लगाकर छोड़ देंगे। 

स्वत: संज्ञान का अभाव 
संबंधित न्यायालयों के विद्बान न्यायाधीश स्वत: संज्ञान नहीं लेते हैं। इसके अभाव में सट्टा का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। सट्टा के नंबरों पर दाव लगाने का कार्य चाहे मोबाईल से किया जा रहा हो या कागज पर लिखकर, दोनों ही स्थिति में यह कार्य बंद कमरे में किया जाता है, मगर पुलिसकर्मी नंबर लिखने या मोबाईल में फीड करने वाले कारोबारी को नहीं पकड़ती है, जबकि सट्टा के नंबर कमरे के अंदर लिखने या मोबाईल में फीड करने वाले कारोबारी के खिलाफ जुआ अधिनियम की धारा 13 की उप धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज करने का प्रावधान है। वहीं आरोपी को कोर्ट ट्रायल के बाद ही जमानत पर रिहा किया जा सकता है और पहली बार आरोप सिद्ध होने पर कम से कम सात साल की कड़ी सजा का प्रावधान है, जबकि जुआ अधिनियम की धारा 13 के तहत पुलिस थाने में ही कच्ची जमानत पर रिहा करने व 1००-5० रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।

स्मार्ट फोन बन गए शो पीस 
बीट कांस्टेबल जानकर भी पर्ची सट्टा कारोबारी के खिलाफ 3/4 के तहत मामला दर्ज नहीं करते हैं, जबकि उनकी जेब में स्मार्ट मोबाईल फोन मौजूद रहता है। एक क्लिक करने पर कारोबारी की तस्वीर कैद हो जाती है। वहीं उन्हें कारोबारी का मोबाईल जब्त कर उसमें फीड नंबरों को खंगालने का अधिकार भी होता है। बावजूद इसके वे कारोबारी को सात साल की सजा से बचाने के लिए जुआ अधिनियम की धारा 13 के तहत मामला दर्ज कर थाने में ही कच्ची जमानत लेकर रिहा कर देते हैं और रिहा होते ही उसी वक्त कारोबार में संलिप्त हो जाते हैं। 

सवाल मांगते हैं जवाब
पकड़े गए सट्टा कारोबारियों ने सट्टा का कारोबार बंद कर दिया है? बंद नहीं किया है तो एक से अधिक बार हिरासत में लिए गए कारोबारियों की सूची में उनके नाम क्यों नहीं हैं? क्या पिछले तीन साल में पकड़े गए कारोबारी चौड़े में ही नंबर लिखने का कार्य करते पाए गए थे? 5 साल पूर्व तत्कालीन कोतवाल वीरेन्द्ग शर्मा ने कोतवाली पुलिस थाना क्षेत्र के इटाई पाड़े में छापा मार एक कारोबारी के कब्जे से 5 लाख रुपए की नकद राशि, सोने-चांदी के आभूषण और लाखों रुपए का हिसाब-किताब जब्त किया था, तब से आज तक कारोबारी बेखौफ कारोबार को अंजाम दे रहा है। बड़ी बात यह है कि तब से आज तक किसी भी कोतवाल ने बड़ी कार्रवाई नहीं की है और ना ही उस कारोबारी को दोबारा पकड़ा है। 
इसी तरह सराय गजरा रोड पर निहालगंज चौकी के पास एक कारोबारी के खिलाफ 13 मामले दर्ज हैं, अब उसका एक पुत्र कारोबार को बेखौफ संचालित कर रहा है। इसका खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम-2००5 के तहत प्राप्त जानकारी से हुआ है।

क्या कहते हैं जानकार
भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के रहते पूरी तरह बेईमानी पर आधारित सट्टा के कारोबार को बंद कराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। कारोबारी कोरे चेक हैं। कारोबारियों को बचाने के लिए भ्रष्ट पुलिसकर्मी कानून में से गली निकाल लेते हैं और समझ में नहीं आने पर सरकारी पैरोकार का सहारा लेते हैं।

सट्टा ने तोड़ा कल्याणकारी योजनाओं का दम
लालच बुरी वला है। सट्टा ने न केवल कल्याणकारी योजनाओं का दम तोड़ा है, बल्कि गरीब बच्चों का निवाला छीन उनके विकास का सपना भी चकनाचूर कर दिया है। इतना ही नहीं कई लोग तो सट्टा के नंबरों पर दाव लगाने के लिए जमा पूंजी, स्त्रीधन व सिर छिपाने की छत को भी गिरवी रख चुके हैं।

न्यायाधीश संज्ञान लें तो बंद हो सकता है सट्टा
विद्बान न्यायाधीश स्वत: संज्ञान लेकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा के आदेश पारित कर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करना शुरू कर दें तो सट्टा पर पूरी तरह अंकुश लग सकता है। आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा के अभाव में कारोबार तेजी से फलेगा फूलेगा, इसमें कोई दोराय नहीं है।