-- लवकुश झूला पुल का हुआ उद्घाटन । लव-कुश झुला पुल से पैदल यात्रा शुरू।

-- लवकुश झूला पुल का हुआ उद्घाटन । लव-कुश झुला पुल से पैदल यात्रा शुरू।
-- लवकुश झूला पुल का हुआ उद्घाटन । लव-कुश झुला पुल से पैदल यात्रा शुरू।
--- सैकड़ों भक्तों ने पवित्र नारायणी नदी जल भर कर लव-कुश झुला पुल पार कर पहुंचे 
बाल्मीकि आश्रम ।
-- भारत और नेपाल सीमा पर स्थित  वाल्मीकि आश्रम।
BAGAHA News11tv 
 हिंदुओं की आस्था और विश्वास का केंद्र बिहार नेपाल बार्डर स्थित बाल्मीकि आश्रम की रामायण ग्रंथ जुड़ी है जो आज भी आस्था का केंद्र बना हुआ है. श्रावण 28 के आखिरी सोमवार के अवसर पर चितवन अंतर्गत बाल्मीकि आश्रम जाने के लिए विनयी त्रिवेणी 6 पर बने लवकुश झूला पुल को सांसद लक्ष्मण पांडे, रोसन बहादुर गाहा, जिला समन्वय समिति नवलपुर के प्रमुख बाबूराम बी.के., विनयी त्रिवेणी ग्रामीण नगर पालिका के अध्यक्ष घनश्याम गिरी ने लवकुश सस्पेंशन ब्रिज भव्य उद्घाटन किया। तथा गाजे-बाजे के साथ सैकड़ों भक्तों ने पवित्र नारायणी नदी से जल लेकर हाल ही में निर्मित फुटपाथ के माध्यम से चितवन नेशनल पार्क के जंगल में एक घंटे की कठिन यात्रा के बाद बाल्मीकि आश्रम पहुंचे .आश्रम में हरिहर मूर्ति पर जल चढ़ाया।
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सीता माता के धरती प्रवेश, बाल्मीकि ऋषि की धूनी, श्री राम पुत्र की पाठशाला, घोड़े वाले किले सहित त्रेता युग की धार्मिक वस्तुओं का अवलोकन किया। सीता माता द्वारा उपयोग किया जाने वाला सिलौटा बंधा हुआ था।
वहीं, बाल्मीकि आश्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी में धार्मिक नुक्कड़ सभा भी हुई.  त्रिवेणी गजेंद्र मोक्ष क्षेत्र विकास समिति के अध्यक्ष करपात्री स्वामी कृष्ण प्रपन्नाचार्य की अध्यक्षता में बैठक हुई.
 प्रतिनिधि सभा के पूर्व सदस्य तिलक महत ने कहा कि बाल्मीकि आश्रम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत से बनी सड़क को आने वाले दिनों में उन्नत किया जाएगा और चूंकि आश्रम की धार्मिक महिमा त्रेता से जुड़ी हुई है युग, इस आश्रम को पहचान वाला तीर्थ स्थल बनाने के लिए सभी दलों को सक्रिय होना चाहिए।
जिला समन्वय समिति के प्रमुख बाबूराम बी.के., विनयी त्रिवेणी ग्रामीण नगर पालिका के अध्यक्ष गिरि, नेपाली कांग्रेस, नवलपुर के उपाध्यक्ष बालकृष्ण घिमिरे और अन्य ने कोने की बैठक में अपना बधाई भाषण दिया।
--- जहां बीता लव-कुश का बचपन
तीन नदियों के किनारे स्थित इस स्थान पर रामायण काल में महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था। बिहार के बाल्मीकि नगर  व नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकि आश्रम की खूबसूरती गजब की है। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड के अनुसार, भगवान राम और सीता के आदेश के चलते लक्ष्मण मां सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर अयोध्या लौट गए थे। वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में मिलता है। वाल्मीकि आश्रम में सीता वनदेवी के नाम से रहती हैं। उस समय वह गर्भवती रहती हैं। वहीं, जुड़वा लव और कुश का जन्म हुआ।यहां आसानी से पहुंचने के लिए नेपाल भी झूला पुल का निर्माण हुआ है।
---- तीन नदियों के तट पर है यह आश्रम
इस आश्रम के पास नारायणी, तमसा और सोनभद्र नाम की नदी बहती है। नारायणी को गंगा की तरह ही पवित्र माना जाता है। आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर स्थित है। यहां माता सीता की रसोई भी बनी है। एक कुआं भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि माता सीता इसका प्रयोग पानी के लिए करती थीं। एक पेड़ भी है जिसको लेकर माना जाता है कि यहीं लव-कुश बैठकर ऋषि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त किया करते थे। वहीं, आश्रम में पेड़ की टहनियों से झूले बने हुए हैं। मान्यता है कि इसी झूले पर वे झूलते थे।
----- घोड़े को बांधने का स्थान
भगवान राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था तो कोई भी राजा श्रीराम के घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोड़ा यहां पहुंचा तो लव कुश ने उसे बांध लिया था। जब श्रीराम का घोड़ा हनुमान जी छुड़ाने के लिए आए तो लव कुश ने उन्हें परास्त कर बंधक बना लिया था। आज भी यह स्थल यहां बना हुआ है, जहां घोड़े को बांधा गया था। इस जगह पर वाल्मीकि द्वारा बनाए हवन कुंड भी है।
--- सीता पाताल प्रवेश
मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव-कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी। समाधि स्थल की रखवाली करते हैं । ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
--- नेपाल बनाया झूला 
वाल्मीकि आश्रम आने के लिए भारत से ही एक मात्र रास्ता था। अगर किसी को भी वाल्मीकि आश्रम आना हो तो उसे भारत ही हो कर आना पड़ेगा। लेकिन, अब नेपाल की तरफ से गंडक नदी में एक झूला पुल का निर्माण किया हो गया है। इसके द्वारा पर्यटक इस झूला पुल के माध्यम से वाल्मीकि आश्रम पहुंचेंगे। हालांकि, इस पुल के बन जाने से भारत में आ रहे पर्यटकों की संख्या में कुछ कमी आ सकती है। फिलहाल नेपाल से होकर गुजरना बरसात की वजह से रुकाना पड़ सकता है।
प्रकाश राज 
संवाददाता बगहा