धूमधाम से मनाया गया मकर सक्रांति का पर्व

धूमधाम से मनाया गया मकर सक्रांति का पर्व
धूमधाम से मनाया गया मकर सक्रांति का पर्व

कुन्दन यादव/News11tv/

मकर संक्रांति का पर्व रविवार  को पूरे हर्षोल्लास के साथ  मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान के बाद मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य किया। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। भगवान का दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की। इस दिन दान का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में लोगों ने तिल, गुड़, चावल और अन्न आदि का दान किया। जगह-जगह पर खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया गया। इस बाबत ज्योतिषाचार्य पंडित रिपुसूदन द्विवेदी ने बताया 
कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने और खिचड़ी व तिल का दान करने से सारे पाप कट जाते हैं।मकर संक्रांति  के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तरायण हो जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित रिपुसूदन द्विवेदी ने बताया कि सूर्य के धनु से मकर राशि में जाने से खरमास कि भी समाप्ती हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन  से सभी  मंगल कार्य शरू हो जाते है। मकर संक्रांति के पर्व पर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। खासकर तिल से बनी खाद्य सामग्री का। ऐसे में लोगों ने मूंगफली, तिल की गज्जक, लड्डू, रेवडी और खिचड़ी आदि का भी वितरण करते है
मकर संक्रांति  2080 तक 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी, 2080 के बाद 16 जनवरी को मनाई जाएगी,1935 से 14  जनवरी को मनाई जाती थी,1935 से पूर्व यह 13 जनवरी को आती   थी,ज्योतिषीय गणना के अनुसार 72 वर्षों में तारीख बदल जाएगी। कारण-: सूर्य का धनु से मकर राशि में संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 20 मिनट विलम्ब से होता है,स्थूल गणना के आधार पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का,तथा 72 वर्षों में पूरे 24 घंटे का हो जाता है,बस इसी कारण से  अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख में बदलाव आता है।यह धारणा पूर्णतयः भ्रामक है कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को आता है। अब मकर संक्रांति  आगे भी 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी।