लोक आस्था के महा पर्व छठ पर्व नहाय खाय से शुरू होता हैं l
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वाल्मीकि नगर।अभिमन्यु गुप्ता l
लोक आस्था का महा पर्व छठ की शुरुआत मंगलवार के दिन नहाय खाय से हो गयी।इस दिन से व्रत में उपयोग होने वाले गेंहू को वर्ती द्वारा धो कर सुखाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है।बताते चलें कि यह महा पर्व चार दिनों का होता है।पहला दिन नहाय खाय के बाद दूसरे दिन खरना जिसे रसियाव रोटी कहते है,तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है,और अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ व्रत की समाप्ति हो जाती है।व्रतियों द्वारा त्रिवेणी की संगम तट पर काली घाट,लवकुश घट समेत कई जगहों पर मंगलवार की सुबह से हीं अछूता गेहूं सूखने का सिलसिला शुरू हो गया है।
इस लोक आस्था के महा पर्व में वर्ती आगामी चार दिनों तक अपने आप को पूर्ण रूप से शुद्ध हो कर तैयार करती हैं।छठ पूजा में चढ़ाने के लिए ठेकुआ के लिए गेंहू को धो कर सुखाने की तैयारी नहाय खाय के दिन से होता हैं।इस दौरान छठ माता के गाने गा बजाकर तैयारियां होती है।छठ माता के गानों से पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है।आज के दिन व्रती नहाने के बाद ही खाती हैं।इधर छठ व्रत की तैयारी में सभी वैसे घाट जहां छठ पूजन होता है लोग सजाने संवारने में जुट गए हैं।घाट पर पूजा करने के लिए सभी प्रकार के तैयारियों में जुट गए हैं।ताकि व्रतियों को किसी भी तरह से कोई असुविधा न हो।
*छठ वर्त को ले बाजारों में बढ़ी रौनक*: वहीं बाजारों में छठ वर्त को ले छठ पूजन के लिए सामानों और कपड़ों की खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ देखने को मिला।छठ पूजा में प्रयोग होने वाले दौड़ा,सुपली, इंख तहत अन्य पूजा सामग्री की दर्जनों दुकानें बाजार के सड़कों के दोनों ओर अस्थाई रूप से सज गई है।खरीददारी को ले कर इतनी ज्यादा भीड़ उमड़ पड़ी है कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।