बगहा के गंडक की सहायक नदी में दिखी डॉल्फिन, देखने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़
बगहा/प्रकाश राजNews11tv/
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों के किनारे गंडक नदी की सहायक नदी हरहा में डॉल्फिन देख गया। और देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई. स्थानीय लोगों की मानें तो डॉल्फिन पिछले 3 दिनों से मलपुरवा पुल के आस पास दिखाई दे रही है. सुबह के समय इसे अठखेलियां करते हुए लोग देख कर आनंदित हो रहे हैं. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बगहा रेंज के रेंजर सहित एक्सपर्ट समेत डॉल्फिन पर काम करने वाले लोगों को शामिल कर एक टीम का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ा जाएगा.
गंडक नदी बढ़ रही है जलीय जीवों की संख्या
वाल्मीकिनगर से लेकर सोनपुर तक 2017- 18 में डॉल्फिन पर अध्ययन कराया गया था । इस दौरान 155 से 160 के करीब में डॉल्फिन की संख्या सामने आई थी । गंडक का पानी दूसरी नदियों की तुलना में अधिक साफ है । यही वजह है की इसमें घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और उनके लिए गंडक नदी बेहतर अधिवास साबित हो रहा है।
--क्या है डॉल्फिन
ह्वेल मछली की तरह स्तनधारी जलीव जीव है। यह बेहद आकर्षक देखने वाली होती है। यह पानी में 990 फीट गहराई तक जा सकती है और पानी से 20 फीट उपर तक उछल सकती है। दुर्लभ जलीय जीव की श्रेणी में आने के बाद इसके संरक्षण पर काम होने लगा है। हालांकि डॉल्फिन को ज्यादा डर नदी तट पर बसे मछुआरों से है। जिनके जालो में डॉल्फिन आ जाती हैं। इन्हें सुरक्षित करने के लिए लोगों के अंदर जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है।
रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ी जाएगी डॉल्फिन :-
दरअसल गंडक नदी की सहायक नदी हरहा में डॉल्फिन मिली है. हालांकि यह जगह गंगे डॉल्फिन के लिए सुरक्षित जगह नहीं है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) के फील्ड ऑफिसर पावेल घोस ने बताया कि इस मामले की जानकारी मिली है. डॉल्फिन को रेस्क्यू कर गंडक नदी में छोड़ दिया जाएगा। बता दें डॉल्फ़िन को दुनिया के सबसे पुराने जीवों में से एक माना जाता है. इसे स्थानीय भाषा में लोग सोंस बोलते हैं. भारत सरकार ने इस जलीय जीव को 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण कानून के दायरे में शामिल किया था।